
“बेटी का सपना, पिता का संकल्प” — मोनिका की कहानी हर उस युवा के लिए प्रेरणा है, जो हालातों से नहीं, हौसलों से जीतना चाहता है।
जोधपुर की मोनिका ने राजस्थान बोर्ड परीक्षा में 98% अंक हासिल कर सिर्फ एक शानदार शैक्षणिक उपलब्धि नहीं पाई, बल्कि एक मजबूत संकल्प लिया — IAS बनकर अपने पिता को उस कलेक्टर ऑफिस में सम्मान के साथ बैठाना, जहां कभी वे निराश लौटे थे।
📌 मोनिका की प्रेरणादायक कहानी:
पृष्ठभूमि: मोनिका के पिता एक प्लंबर हैं। परिवार ने हाल ही में एक गंभीर समस्या के चलते जिला कलेक्टर कार्यालय का रुख किया, पर समाधान नहीं मिला।
टूटते हौसले, जागता सपना: ऑफिस से बाहर आते वक्त पिता की आंखों में आंसू थे और उन्होंने कहा, “अगर तू आज IAS होती, तो हमारी सुनवाई ज़रूर होती।” यही वो पल था, जिसने मोनिका की ज़िंदगी की दिशा तय कर दी।
सपनों की उड़ान: मोनिका ने ग्रेट सत्यम एकेडमी स्कूल से पढ़ाई की, जहां उसे शिक्षकों और स्कूल प्रशासन का भरपूर सहयोग मिला।
सम्मान में स्कूटी: स्कूल ने उसकी मेहनत और उपलब्धि को पहचानते हुए उसे एक स्कूटी उपहार में दी, ताकि वह बिना रुकावट अपने लक्ष्य की ओर बढ़ सके।
🎯 अब एक ही लक्ष्य — IAS
मोनिका कहती है:
“अब सिर्फ एक ही मकसद है — IAS बनना। अपने पिता के उस सपने को पूरा करना, जो उन्होंने मेरी आंखों में देखा था।”
🌟 स्कूल का सहयोग:
प्रिंसिपल डॉ. अलका गेहलोत ने बताया कि बच्चों के मानसिक तनाव को दूर करने के लिए स्कूल ने सकारात्मक माहौल बनाया, मोटिवेशनल स्पीकर्स बुलाए, और छात्रों को लगातार प्रेरित किया।
🔔 यह कहानी बताती है:
सपनों की कोई जात या पेशा नहीं होता — सिर्फ इरादा चाहिए।
हालात चाहे जैसे हों, हौसले अगर मजबूत हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
एक बेटी सिर्फ घर नहीं, पूरा समाज बदल सकती है।
मोनिका को सलाम, और हर उस अभिभावक को नमन जो बच्चों को सपने देखने की आज़ादी देता है।