अमरनाथ यात्रा शुरू, देखें बाबा बर्फानी की पहली आरती की तस्वीरें

तीन जुलाई से अमरनाथ यात्रा प्रारंभ हो रही है। 38 दिन तक चलने वाली यात्रा के रूट पर पाकिस्तान के दशहतगर्दों की बुरी नजर है। जानकारी के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में लगभग ’50’ पाकिस्तानी दहशतगर्द छिपे हैं। इस इनपुट को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और जम्मू कश्मीर पुलिस ने मिलकर, यात्रा रूट की सुरक्षा का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है।जम्मू-कश्मीर में तीन जुलाई से अमरनाथ यात्रा प्रारंभ हो रही है। 38 दिन तक चलने वाली यह यात्रा, पहलगाम और बालटाल दोनों रूटों से गुजरेगी। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना, सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ, आईटीबीपी और जम्मू कश्मीर पुलिस के लगभग 80 हजार जवान, अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा में तैनात किए गए हैं। ये जवान, यात्रियों को उनकी हिफाजत की गारंटी देंगे। फिदायीन अटैक जैसे हमलों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों ने अचूक घेरा तैयार किया है। यात्रा के रूट पर कोई आतंकी न आ सके, इसके लिए वैसी ही सुरक्षा व्यवस्था की गई है, जैसी अफगानिस्तान में यूएस/नाटो सेना के काफिलों की हिफाजत के लिए देखने को मिलती थी।

खुफिया इकाई से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, अमरनाथ यात्रा के रूट पर पाकिस्तान के दशहतगर्दों की बुरी नजर है। वजह, उनके मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में लगभग ’50’ पाकिस्तानी दहशतगर्द छिपे हैं। साथ ही पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों के जम्मू-कश्मीर में मौजूद ‘मुखौटे’ समूहों के करीब दो दर्जन लोकल आतंकी भी सक्रिय हैं। इस इनपुट को ध्यान में रखते हुए भारतीय सेना, अर्धसैनिक बलों और जम्मू कश्मीर पुलिस ने मिलकर, यात्रा रूट की सुरक्षा का फुलप्रूफ प्लान तैयार किया है। यात्रा रूट को पूरी तरह से सुरक्षित बनाया गया है। पहाड़, नदी-नाले, सड़क और पुलों के आसपास यात्रियों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है। 

 

पहलगाम और बालटाल, दोनों रूटों पर सुरक्षा का अभेद्य घेरा तैयार किया गया है। संवेदनशील स्थानों पर सीसीटीवी और ड्रोन से नजर रखी जा रही है। यात्रियों के काफिलों को सीआरपीएफ के सुरक्षा घेरे में ले जाया जाएगा। दोनों ही रूटों पर विभिन्न सुरक्षा बलों की रोड ओपनिंग पार्टी ‘आरओपी’ लगी हैं।  डॉग स्क्वाड और बुलेटप्रूफ मार्क्समैन भी तैनात किए गए हैं। कई जगहों पर लंबी दूरी तक की गतिविधियों को कैद करने वाली दूरबीन लगाई गई हैं।  सुरक्षा बलों को हैंडहेल्ड सीसीटीवी कैमरे भी मुहैया कराए गए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यात्रियों को बिल्कुल भी चिंता करने की जरुरत नहीं है। उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया गया है। इस बार यात्रा रूट पर वाहनों के काफिलों को विशेष सुरक्षा चक्र प्रदान किया गया है।  

 

जिस तरह से अफगानिस्तान में यूएस/नाटो सेनाओं के काफिलों को जैसी सुरक्षा मिलती थी, वैसी ही अमरनाथ यात्रा के दौरान रहेगी। जब अमरनाथ यात्रा के काफिले रवाना होंगे तो रास्ते में अप्रोच रूटों को बंद कर दिया जाएगा। काफिले गुजरने के बाद ही उस रोड पर लोकल ट्रैफिक को चलने की अनुमति होगी। कुछ जगह ऐसी भी चिन्हित की गई हैं, जहां पर मुख्य मार्ग पर अपोजिट मार्ग के हिस्से को सामान्य ट्रैफिक के लिए बंद किया जा सकता है। 

 

पहलगाम हमले के बाद अमरनाथ यात्रा के रूट पर ‘छोटी मिसाइल’ और ‘ड्रोन’ से बम गिराना, ऐसे हमलों को रोकने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। यात्रा रूट की हिफाजत के लिए सीएपीएफ के 50000 से ज्यादा जवानों को तैनात किया जा रहा है। फिदायीन अटैक रोकने के लिए, केंद्रीय सुरक्षा बलों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया है। यात्रा के रूट पर सीएपीएफ के जवानों की तैनाती का अंतराल कम कर दिया गया है। अब पांच सौ मीटर से एक हजार मीटर के बीच जवानों की नियमित तैनाती रहेगी। कई जगहों पर यह गैप, और भी ज्यादा कम हो सकता है।

 

 

80000 soldiers deployed in Amarnath Yatra Security of Yatra on lines of US or NATO army convoys
अमरनाथ यात्रा 2025 – फोटो : पीटीआई

अमरनाथ यात्रा के रूट पर तैनात ‘सीआरपीएफ’ की  220 कंपनियां तैनात
देश के सबसे बड़े केंद्रीय अर्धसैनिक बल ‘सीआरपीएफ’ की सर्वाधिक कंपनियां, अमरनाथ यात्रा के रूट पर तैनात रहेंगी। लगभग 220 कंपनियों को वहां तैनात किया गया है। हालांकि 100 से अधिक कंपनियां, पहले से ही जेएंडके में तैनात हैं। डीजी सीआरपीएफ जीपी सिंह ने अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को लेकर रेंज डीआईजी और कमांडिंग अधिकारियों के साथ बैठक की थी। उन्होंने यात्रा रूट का भी जायजा लिया। बीएसएफ डीजी दलजीत चौधरी भी जम्मू कश्मीर में पहुंचे थे। उन्होंने भी यात्रा मार्ग को फुलप्रूफ सिक्योर करने की रणनीति तैयार की थी। बीएसएफ की करीब 143 कंपनियों को यात्रा की सुरक्षा में लगाया गया है। एसएसबी की 97 कंपनियां और आईटीबीपी की 62 कंपनियां, यात्रा रूट के विभिन्न हिस्सों पर तैनात होंगी। सीआईएसएफ की लगभग 60 कंपनियों को लगाया गया है। सेना की राष्ट्रीय राइफल ‘आरआर’ के जवान भी यात्रा रूट की हिफाजत कर रहे हैं। 

सभी केंद्रीय बलों और राज्य पुलिस के खुफिया तंत्र का आईबी के मल्टी एजेंसी सेंटर ‘मैक’ के साथ त्वरित तालमेल सुनिश्चित किया गया है। ऐसे खुफिया अलर्ट मिल रहे हैं, कि सीमा पार से ड्रोन के जरिए यात्रा रूट बम गिराने की हरकत हो सकती है। इसके अलावा छोटी मिसाइल यानी हैंड ग्रेनेड से हमला भी संभावित है। फिदायीन अटैक, आईईडी और चिपकने वाला बम, ये भी सुरक्षा बलों के लिए चुनौती हैं। जम्मू कश्मीर पुलिस की इंटेलिजेंस विंग और सुरक्षाबलों की मदद से ओवर ग्राउंड वर्कर की सक्रियता का पता लगाने के लिए एक विशेष दस्ते का गठन किया गया है। ये ओवर ग्राउंड वर्कर, आतंकियों को जरुरी सूचनाएं एवं ट्रांसपोर्ट की सुविधा मुहैया कराते हैं। सूत्रों ने बताया, पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के जम्मू कश्मीर में मौजूद मुखौटे आतंकी संगठन जैसे ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) और पीएएफएफ की गतिविधियों पर खास नजर रखी जा रही है। जम्मू कश्मीर में ये आतंकी संगठन, ओवर ग्राउंड वर्कर की मदद से हमले को अंजाम देते हैं। 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर प्रशासन और सुरक्षा बलों अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी सूरत में आतंकियों की बुरी नजर ‘अमरनाथ यात्रा’ पर न पड़े। यात्रा के लिए वाहन, ठहराव शिविर, रास्ते में लैंड स्लाइडिंग से मार्ग बाधित होना और आतंकियों से यात्रा की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। यात्रियों को कैंप तक सुरक्षित ले जाने के लिए टनल और ओवरहेड ब्रिज सुविधाएं, आदि मुहैया कराई जाएंगी। वाहनों पर चिपकने वाले बम का इस्तेमाल तीन चार वर्ष पहले ही शुरु हुआ है। इस बार केंद्रीय सुरक्षा बलों एवं जेकेपी ने आतंकियों और उनके ‘अंडर ग्राउंड वर्कर’ को उनके ठिकानों पर ही दबोचने की रणनीति बनाई है। 

सुरक्षा बलों ने चिपकने वाले बम से रसद वाहनों को बचाने का प्लान बनाया है। अमरनाथ यात्रा के दौरान टारगेट किलिंग को रोकना सुरक्षा बलों की प्राथमिकता रहेगी। रसद सामग्री वाले स्थानों पर ड्रोन के जरिए नजर रखी जाएगी। यात्रियों के शिविरों पर हमला न हो, इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा रहेगा। यात्रा में शामिल वाहनों को ऐसे स्केनर से गुजारा जाए, जहां पर किसी भी संदिग्ध वस्तु की पहचान की जा सकती है। आईईडी का पता लगाने के लिए सुरक्षा बलों की कई टीमों का गठन किया गया है। उपकरणों के अलावा खोजी कुत्ते भी इस काम में सुरक्षा बलों की मदद करेंगे। ड्रोन को मार गिराने के लिए सुरक्षा बलों के शूटर तैनात होंगे। आईईडी का पता लगाने के लिए अनेक जगहों पर तकनीकी उपकरण लगाए जा रहे हैं। 

 

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top